लेखनी कहानी -24-Feb-2022 वृद्धावस्था
#लेखनी वार्षिक प्रतियोगिता
शीर्षक:- वृद्धावस्था
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वृद्धावस्था की क्या,हो सकती है परिभाषा।
एक दूजे से रहती है,इस उम्र में आशा।।
हर उम्र का रंग चढ़ा, बदले कई वेश।
बूढ़ा बच्चा एक समान, सबसे है विशेष।।
मन संवेदन शील है, न तन में कोई ओज।
कब टूटे सांसों की डोर, सोचते हैं रोज।।
घनी छांव देते देते, वो हो गया अधेड़।
बंटवारे में कट गया,वो बरगद वाला पेड।।
कैसे है ये दुनिया वाले, देते कितनी पीर।
शामिल इनमें लग रहे, अपनों के भी तीर।।
कड़ी धूंप से बचने को,बैठे पूरा गांव।
बरगद बूढ़ा हो चला,देता ठंडी छांव।।
तिनका तिनका नीड का, खिसक रहा दिन रैन।
किंतु उसी में मिल रहा, उस पंछी का चैन।।
घर में बड़े बुजुर्ग का साया,होता बड़ा अजीज।
जो हिम्मत बांधे रहता,जैसे गले बंधा तावीज।
पतझड़ सावन बसंत की, देखी सभी बहार।
अंत अकेला रह गया, बट गया परिवार।।
अपनों ने ही कर दिया, कैसा दरकिनार।
वृद्ध आश्रम ही लगता है, अब अपना परिवार।।
तिनका-तिनका जोड़ कर,घर संसार बनाया।
पंछी उड़ना सीख गया, अब संग है अपना साया।।
थे जिनकी पनाह में,बीते सुबह शाम।
माता-पिता की भावना,का करो सदा सम्मान।।
वृद्धावस्था का चलेगा, एक दिन सब पर वार।
कर्म सभी के आगे आते, नर हो चाहे नार।।
संगीता वर्मा ✍️✍️
Arshi khan
03-Mar-2022 07:15 PM
Bahut khoob
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Lotus🙂
25-Feb-2022 05:23 PM
Behtarin
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Aliya khan
25-Feb-2022 12:18 AM
बहुत खूब
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